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जैव प्रौद्योगिकी के प्रकार ।types of jaiv prodhyogiki। हरित जैव प्रौद्योगिकी । लाल जैव प्रौद्योगिकी । आण्विक निदान । जैव पेटेन्ट । बायोपाइरेसी

जैव प्रौद्योगिकी के प्रकार types of jaiv prodhyogiki

जैव प्रौद्योगिकी के प्रकार types of jaiv prodhyogiki
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【1】  हरित जैव प्रौद्योगिकी (कृषि में प्रोधोगिकी कर उपयोग):-
हरित जैव प्रौद्योगिकी (कृषि में प्रोधोगिकी कर उपयोग
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★  आनुवांशकी रूपांतरित फसल आधारित कृषि (GMO):- ऐसे जीव जो जीन स्थानांतरण द्वारा परिवर्तित किये जाते है आनुवांशिक रूपान्तरित जीव (Gentically modified Organism, GMO) कहलाते है और जो जीन सजीव में प्रवेश करवाया जाता है । ट्रांसजीन कहलाते है।
              कृषि में जैव प्रौद्योगिकी द्वारा ट्रांसजेनिक पादप का निर्माण किया जाता है, जो निम्न प्रकार है -

1.  बेसिलस थूरिनजीएंसिस :-  यह मृदा जीवाणु कीटरोधी पादप है , इनमें उपस्थित जीन द्वारा Cry प्रोटीन का निर्माण होता है, यह प्रोटीन कीटों के लिए विष का कार्य करते है और यह कीटों की आहार नाल में संक्रमण करता है जिसे Bt विष कहते हैं। Cry प्रोटीन के जीन को Ti प्लाज्मिड की सहायता से तम्बाकू  , टमाटर , कपास आदि में प्रवेश करवाकर , इन पादपों को कीटों के प्रति प्रतिरोधी बनाया जाता है । कपास में होने वाला जीन स्थानांतरण को बी. टी. कॉटन (Bt Cotton) कहते है ।

2.   पीड़क प्रतिरोधी पादप :-  विभिन्न(सूत्र कृति) मानव , जन्तु व पादपों पर परजीवी होते है । सूत्र कृमि मेलोइडोगाइन इनको इंकॉग्निसिया तम्बाकू , टमाटर , बैंगन आदि पादपों की जड़ों पर संक्रमण करते है । संक्रमण को रोकने के लिए एग्रो बैक्टिरियम जीवाणु के T DNA का उपयोग करते है।


3.  हिरूडिन :-  हिरूडिन एक विशिष्ट प्रोटीन है जो रक्त का थक्का बनने को रोकता है हिरूडिन के संश्लेषण जीन को ब्रेसिका नेपस में स्थानान्तरित किया जाता है । इन पादपों की जड़ों में हिरूडिन प्रोटीन संश्लेषित व संचित रहता है जो औषधि का कार्य करते है।

4.  गोल्डन राइस का निर्माण :-  स्विस के जैव वैज्ञानिक इग्नो पोट्रिक्स ने ड्रेफोडिल नामक पौधे से B केरोटीन पैदा करने वाला जीव प्रवेश करवाया और गोल्डन राइस की किस्म विकसित की । इसमें विटामिन A का संश्लेषण होता है।


5. शाकनाशी पादप:-  खरपतवार को नष्ट करने के लिए ग्लाइफोसेट प्रभावशाली शाकनाशी का प्रयोग किया जाता है और यह ग्लाइफोसेट प्रतिरोधी जीन qro A एरोबैक्टर जीवाणु में पाया जाता है।


6.   जीवाणु प्रतिरोधी पादप :-   इस तकनीक द्वारा ऐसे पादप उत्पन्न किये गए है जो रोगकारी जीवाणु के प्रति प्रतिरोधी होते है -
उदाहरण -तम्बाकू का ट्रांसजेनिक पादप में एसिटिल ट्रांसफ़रेज एंजाइम को कोड करने वाला जीन स्थानांतरित किया जाता है । यह एंजाइम स्यूडोमोनास सिरिंगी जीवाणु द्वारा उत्त्पन्न रोग वन्य रोग के प्रति तम्बाकू को प्रतिरोधकता प्रदान करता है।


7.   वायरस प्रतिरोधी पादप :-   इस तकनीकी द्वारा टमाटर व तम्बाकू पादप को वायरस प्रतिरोधी बनाया जाता है  इसके अन्तर्गत TMV (Tobacco mosaic virus) , PSTV (Potato srindle tuber virus) इत्यादि वायरस के आवरण प्रोटीन जीन को पादप में प्रवेश कराकर इन्टर फेरोन उत्पन्न किये जाते है । यह इन्टर फेरोन ट्रांसजेनिक पादप को वायरस प्रतिरोधी बनाते है ।

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【2】 लाल जैविक प्रौद्योगिकी (चिकित्सा के क्षेत्र में जैव प्रौद्योगिकी का प्रयोग) :-   जैव तकनीक का उपयोग उपचार और रोकथाम दोनों ही क्षेत्रों में लाभकारी है । चिकित्सा क्षेत्र में प्रतिजैविक औषधियों , एंजाइम , विटामिन्स एवं हार्मोन्स का तो प्रयोग होता जा रहा है , किंतु इन्टरफेरोन , वृद्धि हार्मोन्स , इन्सुलिन इत्यादि उत्पादों को सूक्ष्मजीव से प्राप्त कर चिकित्सा के क्षेत्र में प्रयोग करना एक बड़ी उपलब्धि है।  


जैव तकनीक द्वारा प्राप्त औषधियाँ निम्न है -
1.  इन्सुलिन :-
                  इन्सुलिन 51 अमीनो अम्ल युक्त प्रोटीन हार्मोन है जो अग्नाशय की लेंगर हैन्स द्वीप कोशिका से स्रावित होता है । इन्सुलिन की खोज एडवर्ड शर्पे शेफर ने की थी ।  इन्सुलिन का प्रमुख कार्य शरीर में उपस्थित ग्लूकोज की मात्रा को ग्लाइकोजन में परिवर्तित करना होता है। इनकी कमी से मधुमेह रोग हो जाता है। पहले यह जन्तु (गाय व सुअर) से सीमित मात्रा में  प्राप्त होता था जैव तकनीक द्वारा अधिक मात्रा में प्राप्त किया जाने लगा है । एली लिली नामक संस्था (1983) ने  दो डी.एन.ए. अनुक्रम को जीवाणु ई. कोलाई के प्लाज्मिड में प्रवेश कराकर इन्सुलिन श्रृंखला का उत्पादन किया।  इस प्रकार के मानव निर्मित इन्सुलिन को ह्यूमलिन(Humulin) कहते है ।

जीन चिकित्सा(Gene Theraphy):-  जीन चिकित्सा आनुवांशिकी अभियांत्रिकी की एक तकनीकी है जिसमें रोगी के शरीर से दोष पूर्ण जीन को हटाकर नए जीव को प्रतिस्थापित किया जाता है । यह पुनर्योजी डी. एन. तकनीक द्वारा होता है । इस विधि द्वारा पार्किंसन रोग , पुटी तंतुमयता , गंभीर संयुक्त प्रतिरक्षा अपूर्णता , विभिन्न कैंसर , सिकल सेल एनीमिया आदि घातक रोगों का इलाज संभव है।



आण्विक निदान :-
रोगों के निदान के बगैर उपचार असंभव है । जैव तकनीकी द्वारा विभिन्न रोगों के जांच हेतु कारण और तकनीकी का आसानी से पता लगाया जा सकता है जैसे -ELISA (Enjyme Linked Immuno sorbent asay) Test - इस परीक्षण द्वारा एन्जाइमों की सहायता से सुक्षतम मात्रा में उपस्थित प्रोटीन , प्रतिजन (Antigen)  व प्रतिरक्षी (Antibody) की पहचान की जाती है।  यह जांच स्पेक्ट्रोफोटोमीटर की सहायता से मात्रात्मक मापन कर प्रतिजन की उपस्थिति को बता दिया जाता है । प्रत्येक प्रतिजन के लिए ELISA का मान विभिन्न होता है।


【3】जैवपेटेन्ट :-

जैवपेटेन्ट
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सामान्यतः भौतिक परिसंपत्तियाँ जैसे घरेलू सामान , जमीन आदि व्यक्तिगत सम्पति होती है इसी प्रकार किसी देश की सम्पूर्ण सम्पति उसकी निजी संपत्ति होती है।
            परन्तु वर्तमान में ज्ञान आधारित समाज का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है । इस ज्ञान आधारित समाज में भारत की गणना अग्रिम पंक्ति में की जा रही है ज्ञान आधारित इस समाज की अर्थव्यवस्था का मुख्य स्तम्भ बौद्धिक सम्पति एवं रक्षा ही है।  बौद्धिक सम्पति कोई डिज़ाइन , अवधारणा, शोध , संकेत आदि हो सकती है तथा इन्हें व्यक्तिगत  सम्पति के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए, क्योंकि यह व्यक्ति का बौद्धिक स्तर का परिणाम होती है। बौद्धिक सम्पति की रक्षा एवं उसे व्यक्तिगत मान्यता देने हेतु उसका कानूनी संरक्षण आवश्यक है । सरकार द्वारा प्रदत्त यही कानूनी संरक्षण पेटेन्ट कहलाता है। 
          
●   पेटेन्ट एक सरकारी अनुदान है ,जो सीमित समयावधि के लिए व्यक्ति को अपने अधिकार के विकास , उपयोग एवम व्यवसाय का विशेषाधिकार प्रदान करती है ।
●    पेटेन्ट नई उपयोगी मशीनों , निर्मित उत्पादों , औद्योगिकप्रक्रमों एवं उपलब्ध साधनों में महत्वपूर्ण सुधारों के लिए प्रदान किया जाता है । इसके अलावा यह नए रसायनों , रासायनिक यौगिकों , भोज्य पदार्थों एवम चिकित्सकीय उत्पादों के उत्पादन एवं प्रसंस्करण के लिए भी प्रदान किया जाता है।
●    पेटेन्ट , इनके अलावा आनुवांशिकी अभियांत्रिकी द्वारा विकसित नवीन जीवों हेतु भी प्रदान किया जाता है।



जीवों एवं उनसे सम्बन्धित अवयवों , सम्बन्धी पेटेन्ट जैवपेटेन्ट कहलाते है
 इस तरह के पेटेन्ट मुख्यतः
(1) सूक्ष्मजीवों के विभेद
(2) कोशिका क्रम
(3) आनुवांशिकत: रूपान्तरित पादप जन्तु
(4) डी. एन. ए. क्षार क्रम
(5) डी. एन. ए. क्षार क्रम  कर्मों द्वारा कोडित प्रोटीनों
(6) विभिन्न जैव प्रौद्योगिक प्रक्रियाएं
(7) उत्पादन प्रक्रियाएं
(8) उत्पाद
(9) उत्पादों के अनुप्रयोग के लिए दिए जाते है।
   

●      जैवपेटेन्ट प्राप्त करने के लिए आविष्कार पूर्णतः नवीन , अप्रकटित एवं जैविक अनुप्रयोग में सक्षम होना चाहिए । जैवपेटेन्ट का अधिकार , आविष्कार द्वारा , किसी अन्य व्यक्ति को या उत्तराधिकारी को दिया जा सकता है । आविष्कारक अपने आविष्कार के व्यावसायिक उपयोग के एवज में उपयोग से क्षतिपूर्ति प्राप्त कर सकता है।

●     प्रायः विभिन्न देशों में पेटेन्ट 16 से 20 वर्ष तक वैध रहता है जिसके उपरान्त वह आविष्कार सार्वजनिक उपयोग में लिया जा सकता है । भारत में पेटेन्ट वैधता 20 वर्ष के लिए है। भारत में पेटेन्ट सम्बन्धी कानून (20.04.1972)  को प्रभावी हुआ था । जैव प्रारूपों के पेटेन्ट का समाज के कई सामाजिक वर्गों द्वारा विरोध किया जाता रहा है । ये विरोध मूलतः नैतिक एवं राजनैतिक प्रकृति के है जैव पेटेंटो के समर्थन में सबसे बड़ा तर्क आर्थिक प्रगति का है ।




【4】बायोपाइरेसी:-

                   राष्ट्रीय सम्पति व सम्पदा , निजी स्रोतों व जैविक स्रोतों की डकैती अथवा चोरी बायोपाइरेसी कहलाती है । जैविक स्रोतों का उपयोग , कृषि रासायनिक उद्योग और चिकित्सा जगत में होता है। बहुत सारे औद्योगिक राष्ट्र आर्थिक रूप से सम्पन्न है।  लेकिन उनके पास जैवविविधता और परम्परागत ज्ञान की कमी है।  इसके कारण कुछ राष्ट्रों ने अपने जैव संसाधनों का बिना पूर्व अनुमति के उपयोग पर प्रतिबंध के लिए नियम व संगठन बनाये है जो आनुवांशिकीअभियांत्रिकी संस्कृति समिति (जे.ई.ए.सी.) है ।


जैव प्रौद्योगिकी के मुख्य बिन्दु:-  
★  ELISA परीक्षण क्षरा प्रतिजन , रोगाणु , एलर्जीन व हार्मोन असमान्यतया की जांच की जाती है जैसे - AIDS, वायरस , HIV , ट्यूबर क्लोसिस , टाइफाइड , हिपेटाइटिस , थायराइड - TSH आदि।
PCR पॉलिमरेज श्रृंखला अभिक्रिया -  इस तकनीकी द्वारा विभिन्न आनुवांशक दोषों की पहचान की जाती है।

★  एड्स रोग के लिए ELISA तकनीकी जो कि प्रतिजन - प्रतिरक्षी पारस्परिक क्रिया के सिद्धांत पर आधारित है।
★ मानव निर्मित इन्सुलिन श्रृंखला ई. कोलाई जीवाणु में प्रविष्ट कराकर प्राप्त की जाती है।
★ ELISA और PCR शरीर में लवण प्रकट होने से पहले ही संक्रमण की पहचान में सहायता करती है।
★ बिना व्यवस्थित अनुमोदन व क्षतिपूरक भुगतान के जैव संसाधनों का प्रयोग बायोपाइरेसी कहलाता है ।
★  रोजी एक ट्रांसजेनिक गाय है ।
★  बेसीलिस यूरिन जिएसीस के cry प्रोटीन युक्त कपास को बीटी कपास कहते है।
★B.O.D.  ऑक्सीजन की वह मात्रा जो एक लीटर पानी में उपस्थित कार्बनिक पदार्थों के ऑक्सीकरण / अपघटन के लिए आवश्यक है।
★  वे जीव जो भूमि की उर्वरता को बढ़ाते है जैव उर्वरक कहलाते है।
★ जब वायरस , उत्तकों पर आक्रमण करते है तो उत्तक प्रोटीन उत्पन्न करते है जो प्रति विषाणु कारक है , इसे इन्टरफेरोने कहते है।
★  प्रक्षेपास्त्र का विकास वर्नहर वॉन ब्राउन ने किया ।
★ प्रौद्योगिकी मिशन में सब्जियाँ शामिल नहीं है।
★ सेक्स हार्मोन का पता एडवर्ड कालविन ने लगाया ।
★  एड्स वायरस एक सूत्री आर.एन.ए. होता है ।
★  एस्बेस्टोस द्वारा फैला रोग वातस्फीति होता है ।
★  पार्किन्सन रोग के इलाज को विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए अरविंद कार्लसन को नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया ।
★   मधुमेह के रोगियों द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले स्विटेक्स में शून्य कैलोरी ऊर्जा होती है।
★  एलिसा परीक्षण द्वारा एड्स के प्रतिरक्षियों का निदान करते है ।
★   सूचना अभियांत्रिकी एवं सम्बद्ध विज्ञानों के क्षेत्र में राष्ट्रीय उत्कृष्टता संस्थान बैंगलोर में स्थापित किये जाने का प्रस्ताव है ।
★   बायोगैस का मुख्य घटक मीथेन है ।

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