एड्स AIDS :-
★ एड्स का पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशियेंसी सिन्ड्रोम है।
★ यहां पर एक्वायर्ड का अर्थ - अर्जित,
★ इम्यूनो डेफिशिएंसी का अर्थ - प्रतिरक्षा तंत्र का ह्रास एवं सिन्ड्रोम
★ लक्षणों का अविर्भाव(लक्षणों का एक विशिष्ट समूह है ।)
★ यह मानव प्रतिरक्षी तंत्र को प्रभावित करता है।
★ एड्स का रोगजनक ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस नामक रेट्रो वायरस है ।
★ HIV संक्रमित व्यक्ति "एच्. आई. वी. पॉजिटिव" कहलाता है।
★ एड्स हेतु परीक्षण - एच्. आई. वी. परीक्षण के परिणाम , संक्रमण प्राप्त कर लेने के लगभग 3 माह पश्चात दृष्टिगोचर होते है। इस समयावधि को 'विन्डो पीरियड' कहते है ।
★ एड्स की जाँच - 1. PCR 2. ELISA
(i) वेस्टर्न ब्लास्ट - प्रोटीन की जांच।(ii) साउथर्न ब्लास्ट - DNA की जांच,
(iii) नॉर्थन ब्लास्ट - R. N. A. की जांच की जाती है।
★ 1 दिसम्बर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है जिसका प्रतीक लाल फीता है।
★ Aids रोग के लक्षण -
1. रोगी को निरंतर बुखार आना , भूख न लगना ।
2. फेफड़ों में संक्रमण जिसके फलस्वरूप खाँसी का आना ।
3. लगातार दस्त होना ।
4. रुधिर प्लेटलेट्स की संख्या में कमी जिससे रक्तस्राव हो सकता है।
5. केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र की क्षति जिसके फलस्वरूप सोचने , बोलने एवं स्मृति क्षीण हो जाती है।
6. रोग की गंभीरता बढ़ने पर लसिका ग्रंथियाँ सूज जाती है , निरंतर बुखार रहता है एवं शरीर का भार गिरने लगता है।
7. शरीर के किसी भाग में लगातार बनी रहने वाली गाँठ विशेषकर जीभ , मुखगुहा , छाती एवं गर्भाशय में ।
8. शरीर पर बने मस्से के स्वरूप इन परिवर्तन।
9. घाव भरने में समय लगना ।
10. आवाज में खरखराहट एवं निगलने में कठिनाई ।
11. रात में मूत्र विसर्जन व पसीना आना ।
12. त्वचा पर चकते पड़ना।
★ एड्स संचरण के कारण :-
1. संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन समागम तथा यह एड्स फैलने का यह सबसे सामान्य तरीका है ।
2. संक्रमित व्यक्ति का रुधिर , सामान्य व्यक्ति को स्थानांतरित करना।
3. संक्रमित सुई का उपयोग करना ।
4. संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाना।
5. एड्स वायरस शरीर से निकले तरल (लार , बलगम , वीर्य) में पाया जाता है ।
★ रोकथाम एवं उपचार :-
1. एक बार प्रयोगी (डिस्पोजेबल) सुई का ही उपयोग करना चाहिए । यदि ऐसा संभव न हो तो सुई को ब्लीच घोल से साफ करना चाहिए। इससे एच्.आई.वी. नष्ट हो जाते है ।
2. वर्तमान में एड्स के उपचार हेतु प्रभावी औषधि या टीका उपलब्ध नही है परन्तु इस दिशा में प्रयास जारी है । फिर भी कई एन्टीरेट्रोवाइरल औषधियों का उपयोग रोग को नियंत्रण में रखने हेतु किया जाता है । एड्स के इलाज के लिए दी गयी औषधियों को एन्टी रिट्रोवायरल ड्रग्स कहते है।
★ एड्स का प्रथम रोगी भारत में 1986 में चैन्नई(मद्रास) में मिला ।
★ वर्तमान में एड्स रोगियों की सर्वाधिक संख्या द. अफ्रीका में है।
★ भारत सरकार ने राष्ट्रीय एड्स नीति - 13 जून 1998 में घोषित की ।
★ एड्स रोग नही बल्कि रोगों का समूह जिसमें प्रतिरक्षातंत्र प्रभावित होता है ।
★ इसमें WBC की संख्या कम हो जाती है ।
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