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गति के नियम । Newton's law of motion | Newton's law |न्यूटन के गति विषयक नियम



न्यूटन के गति के नियम(Newton's law of Motion):- 
     'फिलोसिफ़िया नेचुरलिस प्रिसिपिया मैथेमेटिका' , जिसे आमतौर पर 'प्रिंसिपिया ' कहा जाता है। न्यूटन की सर्वश्रेष्ठ कृति है । इसी पुस्तक में न्यूटन ने गति के नियमों को प्रतिपादित किया था । 
https://youtu.be/sQ1EFFPFO4A
[1]   न्यूटन का गति विषयक प्रथम नियम (Newton First law of Motion):- 

             यदि कोई वस्तु विराम अवस्था में है तो वह विराम अवस्था में ही रहेगी या यदि एकसमान चाल से सीधी रेखा में चल रही है तो वैसे ही चलती रहेगी, जब तक कि उस पर कोई बाह्य बल आरोपित करके उसकी वर्तमान अवस्था में परिवर्तन न कर दिया जाए। 
●  इस नियम को गैलीलियो का नियम या जड़त्व का नियम भी कहते है । 
● अपनी वर्तमान स्थिति को बनाये रखने की प्रवर्ति को जड़त्व कहते है। दैनिक जीवन में हम जड़त्व के गुण का प्रत्यक्ष अनुभव कर सकते है । जैसे वाहन में अचानक ब्रेक लगने पर यात्री का आगे की ओर झुकना । कंबल को डंडे से पीटने पर धूल के कणों के निकलना इत्यादि । 

https://youtu.be/6IjblK0l--w

[2]  न्यूटन का गति विषयक द्वितीय नियम (Newton's Second law of Motion):-

              किसी वस्तु के संवेगइन परिवर्तन की दर उस वस्तु पर आरोपित बल के समानुपाती होती है तथा उसी दिशा में होती है, जिस दिशा में बल कार्य करता है।  


संवेग (Momentum):-
       किसी पिंड का संवेग उसके द्रव्यमान तथा वेग के गुणनफल द्वारा परिभाषित होता है। इसे P द्वारा प्रदर्शित करते है। यदि m द्रव्यमान का पिंड v वेग से गतिशील हो तो संवेग :- 
                                 P = mv 
    संवेग एक सदिश राशि है। SI मात्रक किग्रा. मीटर प्रति सेकंड है।  दैनिक जीवन में संवेग का प्रत्यक्ष अनुभव किया जा सकता है। जैसे - क्रिकेट खिलाड़ियों द्वारा गेंद को पकड़ते समय गेंद की दिशा में हाथों को पीछे खींच लिया जाता है, जिससे गेंद रोकने में अपेक्षाकृत अधिक समय लगता है और खिलाड़ी को चोट नहीं लगती , जबकि कोई नौसिखिया खिलाड़ी गेंद को हाथों से एकदम स्थिर करके रोकता है और चौटिल हो जाता है , क्योंकि गेंद को तत्काल रोकने हेतु अत्यधिक बल आरोपित करना पड़ जाता है । 
https://youtu.be/sQ1EFFPFO4A

आवेग (Impulse):- 
       जब किसी पिंड पर कोई बड़ा बल, बहुत कम समय के लिए कार्यरत रहकर उस पिंड के संवेग में परिवर्तन उत्पन्न करता है तो इसकी गणना आरोपित बल तथा समयावधि के गुननफल से की जाती है । 
        आवेग =  बल x समयावधि = संवेग में परिवर्तन ।
     यह एक सदिश राशि है। इसका मात्रक न्यूटन सेकंड (Ns) है। 

https://youtu.be/sQ1EFFPFO4A
[3]  न्युटन का गति विषयक तृतीय नियम (Newton's third law of Motion):- 
            प्रत्येक क्रिया की सदैव समान एवं विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है। इस नियम के पदों की क्रिया एवं इस प्रकार समझा जा सकता है कि बल हमेशा युग्म में पाए जाते है। 
           ये बल एक ही समय में कार्यरत रहते है । इसमें किसी एक बल को 'क्रिया'  और दूसरे बल को 'प्रतिक्रिया' कहा जा सकता है । दैनिक जीवन में न्यूटन के गति के तृतीय नियम का उदाहरण बन्दूक से गोली चलाते समय पीछे की ओर झटका लगना, राकेट का ऊपर उठना इत्यादि है। 
https://youtu.be/6IjblK0l--w
Note:- प्रकाश की गति के समतुल्य गति करने वाले कणों के संदर्भ में न्यूटन के गति विषयक नियम प्रभावी नही होते है। 


https://youtu.be/sQ1EFFPFO4A

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