विश्वसनीय व्यक्ति ही बन पाता है ब्राण्ड । अपने नाम को ब्रांड कैसे बनायें। बिज़नेस में नाम को ब्राण्ड कैसे बनाएं । बिज़नेस में अपने नाम को ही ब्रांड बनाये। ऐसी ब्रांड बनेगा आपका नाम सब देखेंगे । Confidential humans make a brand | bussiness me apne naam ko brand kese bnaye | how improve your business | how increase your business | safalta kese paaye | safalta paaye kuch asaan trikon se| safalta paaye bina kisi rukawat ke | apne aap ko bnaye ek brand
अगर आप खुद को एक ब्रांड बनाना चाहते है तो लोगों की निगाह में विश्वसनीय व्यक्ति के रूप में अपनी पहचान बनाएं।
हम देखते है कि कुछ व्यक्ति अपने जीवन में ही ब्रांड बन जाते है यानी उनका नाम जेहन में आते ही एक विशिष्ट विचार हमारे दिमाग में आते है । आपने कभी सोचा है कि कोई व्यक्ति कैसे ब्रांड बन सकता है ।
उत्तर है - जुनून , मौलिकता , प्रतिबद्धता और विश्वसनीयता । बदलाव दुनिया का स्थाई नियम है । परिस्थिति , प्रकृति , समय , विचार और व्यक्ति इस परिवर्तन के वाहक होते है । प्राकृतिक परिवर्तनों को छोड़ दिया जाए तो सभी सामाजिक परिवर्तन वैचारिक परिवर्तन से ही संभव होते है। और यह विचार प्रारम्भिक रूप में अनिवार्य रूप से व्यक्तिगत ही होता है । इसलिए विचारों के प्रति सजगता जरूरी है ।
विचारों का ब्रांड एम्बेसडर है व्यक्ति :-
जब कोई इंसान के मन में कोई विचार आता है तो वह विचार को अमलीजामा पहनाता है । एक से दूसरे, दूसरे से तीसरे व्यक्ति के मन मे वैचारिक यात्रा होती है और एक दिन पूरा समाज नए विचार का ग्रहण कर लेता है । कई बार परिवर्तन की यह यात्रा कई विरोध झेलती है और क्रांति के कंधों पर सवार होकर नए युग का सूत्रपात करती है । हजारों साल से परिवर्तन का वाहक व्यक्ति ही रह है । व्यक्ति ही अपने विचार का ब्रांड एम्बेसडर है ।
कभी समझौता नही किया :-
चाहे भगवान बुद्ध हों , ईसा मसीह हों , हजरत मोहम्मद हों , गुरुनानक हों , सुकरात हों , या बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर जी , इन सबने अपने विचार का प्रचार स्वयं किया और इसके लिए जो भी विरोध , जिस भी स्तर का रहा हो, इन्होनें स्वयं सहन किया । वे अपने विचारों से डिगे नही उनके साथ कभी समझौता नहीं किया ।
विश्वास न खोने पाए :-
धीरूभाई अंबानी भारत ही नही , विश्व में अपने निवेशकों के बीच विश्वसनीयता में प्रतीक माने जाते रहे । कई बार उन्होंने बिल्कुल विपरीत परिस्थितियों में भी विश्वास नही खोया । यह उसी विश्वास का नतीजा था कि नब्बे के दशक तक आते - आते उनके साथ 24 लाख निवेशक जुड़ चुके थे ।
ब्राण्ड के लिए मेहनत जरूरी :-
कोई संगठन किसी एक व्यक्ति की विश्वसनीयता और विवेक से संचालित होता है। इसी कारण वह समाज में स्वीकार किया जाता है । महेंद्र सिंह धोनी जब तक मैदान में चौके छक्के मार रहे है, तब तक वह हर ब्रांड के एम्बेसडर है । वह क्रिकेट से सन्यास ले लें तो ब्राण्ड उतना पॉपुलर नही रहेगा ।
भरोसा भी आवश्यक :-
जब भी कोई व्यक्ति खुद को एक ब्रांड बनाना चाहता है तो उसे अपने मन , वचन और कर्म की शुद्धि पर ध्यान देना चाहिए । ब्राण्ड का अर्थ विश्वसनीयता है। हर बड़े व्यक्तित्व की विशेषता होती है कि वह अकेले निर्णय लेता है , पर वह सबको साथ लेकर चलता है ।
- एम. के. गुहाला , मोटिवेशनल स्पीकर
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