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सूचना प्रौद्योगिकी । सूचना प्रौद्योगिकी का महत्व । सूचना सुरक्षा में करने व न करने योग्य । सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 । सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम , 2008 । साइबर अपराध । साइबर क्राइम के अवयव । साइबर क्राइम से सजा । इंटरनेट ससिक्योरिटी के लिए खतरा: मालवेयर । मालवेयर केके प्रमुख तत्व । इंटरनेट सुरक्षा के प्रोडक्ट । Information Technology | Importance of Information Technology | Do's and Don'ts in Information Security | Information Technology Act,2000 | Information Technology Act,2008 (Amendment) | Cyber Crime | Elements of Cyber Crime | Punishment from Cyber Crime | Threats to Internet Security: Malware | Components of Malware | Products of Internet Security

[1]  सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology):- 
सूचना प्रौद्योगिकी या आईटी, प्रायः व्यावसायिक या प्रौद्योगिकी सन्दर्भ में डाटा स्टोर, रिट्रीव , ट्रांसमिट तथा मैनिपुलेट करने हेतु कम्प्यूटरों तथा टेलीकम्युनिकेशन उपकरणों का एक एप्लिकेशन है । हालांकि यह कम्प्यूटर तथा कम्प्यूटर नेटवर्क के समानार्थी के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। किंतु इसके अन्तर्गत अन्य सूचना विवरण तकनीक ; जैसे - टीवी , टेलीफोन आदि भी आते है । सूचना प्रौद्योगिकी वह तकनीक है, जिसमे टेलीकम्युनिकेशन तथा कम्प्यूटर तकनीक , सूचना प्रदान करने हेतु एक साथ कार्य करती है। 
   सूचना प्रौद्योगिकी आंकड़ों की प्राप्ति , सूचना संग्रह , परिवर्तन , आदान प्रदान , अध्ययन , डिज़ाइन आदि कार्यों तथा इन कार्यों के निष्पादन के लिए आवश्यक कम्प्यूटर हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर अनुप्रयोगों से सम्बंधित है।
   संचार क्रांति के फलस्वरूप , अब इलेक्ट्रॉनिक संचार को सूचना प्रौद्योगिकी का एक प्रमुख घटक माना जाने लगा है और उसे सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (Information and Communication Technology- ICT)भी कहा जाता है । एक उद्योग के तौर पर यह एक उभरता हुआ क्षेत्र है। 



[1.1]  सूचना प्रौद्योगिकी का महत्व (Importance of Information Technology):-
सूचना प्रौद्योगिकी का महत्व निम्न प्रकार है - 
● सूचना प्रौद्योगिकी सेवा अर्थतन्त्र (Service Economy) का आधार है । 
● पिछड़े देशों के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए सूचना प्रौद्योगिकी एक सम्यक तकनीकी (Appropriate Technology) है। 
● गरीब जनता को सूचना सम्पन्न बनाकर ही निर्धनता का उन्मूलन किया जा सकता है  । 
● सूचना सम्पन्नता से सशक्तिकरण (Empowerment) होता है । 
● सूचना तकनीकी , प्रशासन और सरकार में पारदर्शिता लाती है , इससे भ्रष्टाचार को कम करने में सहायता मिलती है। 
● सूचना तकनीक का प्रयोग नीति निर्धारण तथा निर्णय लेने में होता है।  
● यह नए रोजगारों का सृजन करती है। 


[1.2]  सूचना सुरक्षा में करने व न करने योग्य (Do's and Don'ts in Information Security) सूचना सुरक्षा सम्बन्धी कुछ निरोधक उपाय भी सूचना हानि व डाटा हानि जैसी स्थितियों से बचा सकते है । ऐसे में कुछ करने व न करने जैसे बिंदुओं को जानना आवश्यक हो जाता है।



[1.3]  सूचना प्रौद्योगिकी अधिनिमय,2000 (Information Technology Act, 2000):-  यह अधिनियम इलेक्ट्रॉनिक डाटा इंटरचेंज और इलेक्ट्रॉनिक संचार के अन्य साधनों के माध्यम से सामान्यतया इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के रूप में संदर्भित किये जाते है जिसमे संचार की कागज आधारित विधियों के विकल्प निहित है। 
   शासकीय एजेंसियों के साथ दस्तावेजों की इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग और फिर भारतीय दण्ड संहिता , भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 , बैंकर्स बुक्स साक्ष्य अधिनियम 1891 और भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 और आकस्मिक सम्बन्धित मामलों में संशोधन के लिए पारित किए गये , परन्तु 30 जनवरी ,1997  को संयुक्त राष्ट्र की आम सभा ने संकल्प A/RES/51/162 से इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स पर मॉडल कानून को अपनाया , जिसे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार कानून द्वारा भी अपनाया गया। 

अधिनियम में व्यवस्थाएँ :- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम भारतीय साइबर संविधान से सम्बंधित महत्वपूर्ण कानूनों में से एक है,जो वर्ष 2000 में भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया । इन्टरनेट की सहायता से व्यापार के विकास के लिये यह अधिनियम बहुत उपयोगी है। इसके अन्तर्गत कुछ ऐसे नियमों एयर विनियमों की व्यवस्था है जो किसी भी व्यापार के इलेक्ट्रॉनिक लेन देन पर प्रभावी किए जा सकते है । साइबर क्षेत्र में अपराध वृद्धि के कारण भारतीय शासन ने इंटरनेट यूजर की समस्याओं को समझा और उनके हितों के संरक्षण के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम पारित किया ।

IT Act की प्रस्तावना के अनुसार , इस अधिनियम का (Information Technology (IT) Act.) उद्देश्य निम्न है -
●  इलेक्ट्रॉनिक डाटा अन्तरण के माध्यम से होने वाले लेन देन तथा इलेक्ट्रॉनिक संचार के साधनों, जो सामान्यतया इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के रूप में सन्दर्भित किये जाते है, उनको कानूनी मान्यता प्रदान करना है । 
● शासकीय एजेंसियों के साथ दस्तावेजों की इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था को सुगम बनाना है । 
   यह अधिनियम सम्पूर्ण देश मे 17 अक्टूबर , 2000 को प्रभावी हुआ । 



[1.4]  सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2008 (संशोधित) (Information Technology Act, 2008) (Amendment)   सूचना प्रौद्योगिकी बिल 2008 (संशोधित) को दिसम्बर , 2008 में संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया है। 5 फरवरी , 2009 को इसे राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली और 27 अक्टूबर , 2009 से प्रभाव में आया । इस आधार में निम्नलिखित संशोधन किए गए - 

(i) धारा 2 के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर को शामिल किया गया । अब डिजिटल हस्ताक्षर इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर के अन्तर्गत आ गया । 
(ii) धारा 3 के माध्यम से यह सुनिश्चित किया गया कि कोई उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर के माध्यम से किसी भी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की पुष्टि कर सकता है। 
(iii) Cyber Regulation Appeallate Tribunal का नाम बदलकर Cyber Appeallate Tribunal कर दिया । इसे एक बहुसदस्यीय संस्था के रूप में बनाया गया जिसका मुख्य कार्य प्राधिकरण को आवश्यक परामर्श देना है। 
(iv) धारा 6A के माध्यम में ई-व्यापार के लिए सेवा देने की व्यवस्था बनाई गई । 
(v) धारा 7 के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक डॉक्युमेंट्स की जाँच पड़ताल की व्यवस्था की गई । 
(vi) धारा 68A के माध्यम से केन्द्रीय सरकार द्वारा किसी भी वेबसाइट को अवरूद्ध करने की व्यवस्था की गई । 
(vii) धारा 69B के माध्यम से केन्द्रीय सरकार को यह अधिकार दिया गया कि वह किसी भी कम्प्यूटर के स्रोत से डाटा को संग्रहित कर सकते है।





[1.5]  साइबर अपराध (Cyber Crime):-  साइबर अपराध या साइबर क्राइम से आशय है 'कम्प्यूटर जनित अपराध' । कम्प्यूटर और इंटरनेट से जुड़े अपराध को ही 'साइबर अपराध' कहा जाता है। यूरोपियन साइबर क्राइम ट्रीटी कॉउंसलिंग के अनुसार ,"साइबर क्राइम एक ऐसा अपराध है जो डाटा एवम कॉपीराइट के विरुद्ध की गई अपराधिक गतिविधि को बढ़ावा देता है।" कम्प्यूटर विज्ञानी  के अनुसार ," साइबर क्राइम कम्प्यूटर और इंटरनेट के माध्यम से होने वाला अपराध है जिसमें जालसाजी , हैकिंग का कार्य , अनाधिकृत प्रवेश , चाइल्ड पोर्नोग्राफी  और साइबर स्टॉकिंग सम्मिलित है । वर्तमान बदलते परिवेश में हो रहे विभिन्न कम्प्यूटर अपराधों सम्बन्धी प्रावधानों को यहाँ सूचीबद्ध किया गया है जो एक दृष्टि में समस्त विवरण देने में सक्षम है । 





[1.5.1]  साइबर क्राइम के अवयव  (Elements of Cyber Crime):- 
कॉपीराइट एक्ट :-    एक व्यक्ति के व्यापार उद्यम या उत्पादों को एक विशिष्ट पहचान प्रदान करने के लिए और अपने उपभोक्ताओं को सेवाएँ प्रदान करने के लिए ट्रेडमार्क एक कानूनी पहचान है। ट्रेडमार्क नाम, शब्द , वाक्यांश , प्रतीक , डिज़ाइन , छवि या लोगों की एक अनूठी पहचान है।  कॉपीराइट एक्ट प्राधिकरण के अधिकार से सम्बन्धित एक विशेष कानून है । भारतीय कॉपीराइट अधिनियम , 1957 के अन्तर्गत भारत का कॉपीराइट कानून संचालित है। 
    कॉपीराइट एक प्राधिकरण , साहित्यिक की मूल रचनाओं , नाटकीय , संगीत और कलात्मक कार्य , सिनेमा या ग्राफिक फिल्मों के निर्माता , ध्वनि रिकॉर्डिंग के लिए कानून द्वारा दिया गया अधिकार है। कॉपीराइट अधिनियम निर्माता के प्राधिकरण के अधिकार , लेखक की रचना को सुरक्षित प्रदान करता है। 

 साइबर या वेब मानहानि :-    इस प्रकार के अपराध में किसी व्यक्ति द्वारा अन्य किसी 
इंटरनेट उपयोगकर्ता का पासवर्ड तोड़कर , उसके नाम से किसी दूसरे व्यक्ति को बदनाम करने वाली ई-मेल भेजी जाती है, जिसकी सूचना उपयोगकर्ता को नहीं हो पाती है और बाद में , जिसके पास ई-मेल पहुँचती है, वह वाद-विवाद करता है । 

पोर्नोग्राफी :- 
इंटरनेट के माध्यम से कम्प्यूटर के जानकार बच्चों , महिलाओं एवं पुरुषों की अश्लील तस्वीरों का प्रचार एवं प्रसार करते है। इस प्रकार की अश्लील तस्वीरों को देखकर अपरिपक्व बच्चे एवं किशोर अनुचित यौन सम्बन्धों की ओर प्रेरित होते है । 
इंटरनेट के माध्यम से साइबर यौन अपराधी इंटरनेट के अन्य उपयोगकर्ताओं तक सरलता से पहुँच जाता है।  अमेरिका , ब्रिटेन, थाईलैंड , रूस , जर्मनी में साइबर पोर्नोग्राफी बड़े पैमाने पर प्रसारित है । अमेरिका में तो पोर्नोग्राफी की रोकथाम के लिए "द इनोसेन्ट , इमेजिंग, नेशनल इनिशिएटिव " नामक संस्था का गठन किया गया है।  

पहचान की चोरी :-  इस प्रकार के साइबर के अप्राद में आर्थिक लाभ अर्जित करने के लिए या अपराधिक गतिविधियों के लिए किसी व्यक्ति की पहचान चोरी की जाती है । 
    इस प्रकार के साइबर क्राइम में कोई व्यक्ति गलत तरीके से किसी अन्य व्यक्ति का व्यक्तिगत डाटा या व्यक्तिगत गोपनीय सूचना अनाधिकृत ढंग से प्राप्त कर लेता है तथा फिर इसका प्रयोग अपनी पहचान छिपाकर तथा अन्य व्यक्ति की पहचान प्रदर्शित करके किसी फ्रॉड अथवा आर्थिक लाभ के लिए करता है।  चूँकि इस अपराध में पहचान बहुत चालाकी से चोरी की जाती है। अतः पीड़ित व्यक्ति बहुत समय तक यह नही जान पाता है कि उसकी पहचान को चुरा लिया गया है । 
पहचान चोरी के दो प्रकार होते है - 
(i) खाते का प्राधिकरण (Account Takeover) 
(ii) सच्चे नाम की चोरी (True Name Theft) । 



[1.5.2] साइबर क्राइम से सजा (Punishment from Cyber Crime):- (i) चोरी किये हुए कम्प्यूटर रिसोर्स या कॉम्युनिकेशन डिवाइस प्राप्त करने के लिए धोखेबाज को दण्ड देना (Punishment for Dishonestly Receiving Stolen Computer Resource or Communication Device)   जो कोई चोरी किये हुए कम्प्यूटर रिसोर्स या कॉम्युनिकेशन देवीसबको प्राप्त करता है , कम्प्यूटर रिसोर्स या कॉम्युनिकेशन डिवाइस की चोरी करने वाला व्यक्ति कारावास के साथ सजा प्राप्त  करेगा , जो 3 वर्ष के लिए बढ़  सकती है या एक लाख के भुगतान के साथ बढ़ सकती है या दोनों के साथ ।

(ii) चोरी की सहायता के लिए सजा (Punishment For Identify Theft)  जो कोई किसी व्यक्ति के इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर,पासवर्ड  या कोई भी दूसरी अतुलनीय पहचान को धोखेबाजी से के प्रयोग करता है , तब वो उस अधिनियम की प्रत्येक व्याख्या के साथ कारावास में सजा प्राप्त करेगा । जो 3 वर्ष के लिए बढ़ सकती है और फाइन के लिये उत्तरदायी भी हो सकता है जो एक लाख तक भी बढ़ सकती है । 


(iii) प्रोटेक्टिड सिस्टम (Protected System) उपयुक्त सरकार के पास आधिकारिक गजट (Official Gazette) में सूचना हो सकती है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से महत्वपूर्ण सूचना के बुनियादी ढाँचे (Critical Information Infrastructure) को प्रभावित कर सकती है,जो एक संरक्षित (Protected) सिस्टम है । 
 उपयुक्त सरकार (Appropriate Government) व्यक्ति को लिखने के लिए अधिकार दे सकती है, कि कौन प्रोटेक्टिड सिस्टम को एक्सेस के लिए अधिकार देगा । इन प्रोटेक्टिड सिस्टम के लिए केंद्र सरकार (Central Government) सूचना सुरक्षा के लिए सलाह दे सकती है । 

(iv) सर्टेन पर्टिकुलर्स में गलत इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर सर्टिफिकेट को पब्लिश करने के लिए सजा (Penalty for Publishing Electronic Signature Certificate False in Certain Particulars) कोई व्यक्ति इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर सर्टिफिकेट को पब्लिश नहीं कर सकता।

1. सर्टिफिकेट में अधिकार प्रमाणित करने की लिस्ट जारी नही होती । 
2. सर्टिफिकेट में अंशदाता की लिस्ट प्राप्त नही की जाती । 




[1.6] इंटरनेट सिक्योरिटी के लिए खतरा:मालवेयर (Threat to Internet Security:Malware):-
मालवेयर का अर्थ है द्वेषपूर्ण (दुष्ट) सॉफ्टवेयर (Malicious Software) ये उस प्रकार के प्रोग्रामों का सम्मिलित रूप है , जिनका प्रमुख कार्य होता है  कम्प्यूटर को हानि पहुँचना ; जैसे - वायरस ,वोर्म्स , स्पाइवेयर इत्यादि । 


[1.6.1]  मालवेयर दोष के लक्षण (Symptoms of Malware Attack):-  किसी भी सिस्टम के मालवेयर द्वारा प्रभावित होने को निम्न लक्षणों द्वारा समझा जा सकता है। 
● बेमेल सन्देशों को कम्प्यूटर स्क्रीन पर डिस्प्ले करना 
●  कुछ फाइलों का खो जाना 
●  सिस्टम का धीमा चलना 
●  पीसी का क्रेश होकर बार- बार रीस्टार्ट होना
●  माउस के प्वॉइंटर का ग्राफिक बदलना 
●  ड्राइव्स का प्रवेश योग्य न होना 
●  एंटीवायरस सॉफ्टवेयर का क्रियान्वयन या इन्स्टालेशन न होना ।


[1.6.2]  मालवेयर के प्रमुख तत्व (Components of Malware):-  मालवेयर के प्रमुख तत्व निम्न है -
वायरस  वायरस वो प्रोग्राम है जो कम्प्यूटर पर नकारात्मक प्रभाव डालते है । ये पीसी पर कन्ट्रोल हासिल करके उनसे असामान्य व विनाशकारी कार्यों को करवाते हैं । वायरस स्वतः ही अपने आप को सिस्टम में कॉपी कर लेते है व आगे संक्रमण हेतु अन्य प्रोग्रामों के साथ स्वतः ही जुड़ जाते है । वायरस कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर के किसी भी हिस्से ; जैसे - बूट ब्लॉक , ऑपरेटिंग सिस्टम , सिस्टम एरिया , फाइल्स तथा अन्य एप्लिकेशन प्रोग्राम , इत्यादि को क्षति पहुचाँ सकते है। कप्यूटर पर वायरस विभिन्न प्रकार के प्रभाव डाल सकते है। वायरसों के प्रकार पर निर्भर होते हुए , कुछ वाइरसों के प्रभाव इस प्रकार है - 
● उपयोगकर्ता के कार्य की निगरानी करना 
● कम्प्यूटरों की दक्षता को कम करना 
● लोकल डिस्क पर उपस्थित सभी डाटा को नष्ट करना । कम्प्यूटर नेटवर्क्स व इंटरनेट कनेक्शन को प्रभावित करना 
● मैमोरी के आकार को बढ़ाना या घटाना 
● विभिन्न प्रकार के त्रुटि सन्देशों को डिस्प्ले करना 
● पीसी सेटिंग्स को बदलना 
● अनचाहे एडवरटाइजों के ऐरे को डिस्प्ले करना 
● बूट टाइम को बढ़ाना इत्यादि 

वार्म्स कम्प्यूटर वॉर्म एक अकेला ऐसा मालवेयर प्रोग्राम है, जोकि दूसरे कम्प्यूटरों में अपने आप को फैलाने के लिए कॉपी करता है । वोर्म्स को ढूंढ पाना अत्यन्त कठिन है, क्योकि ये अदृश्य फाइलों के रूप में होते है। ये कम्प्यूटर नेटवर्क में बैंडविड्थ को नष्ट करके भी क्षति पहुंचाते हैं । 
  उदाहरण :-    Bagle , I Love You , Pooja , Manisha  इत्यादि । 



ट्रोजन ट्रोजन या ट्रोजन हॉर्स (Trojan Horse) एक प्रकार का नॉन-सेल्फ रेप्लिकेटिंग् मालवेयर है । जोकि किसी भी इच्छित कार्य को पूरा करते हुए प्रतीत होता है, पर ये उपयोगकर्ता के कम्प्यूटर सिस्टम पर अनाधिकृत उपयोग (Unauthorised access) की सुविधा प्रदान करता है । यह कम्प्यूटर वायरस की भाँति अपने आप को दूसरी फाइलों में सम्मिलित करने का प्रयास नही करते । ये सॉफ्टवेयर 
इन्टरनेट चालित एप्लिकेशनों द्वारा टार्गेट कम्प्यूटरों तक पहुँच सकते है ।
उदाहरण :-  Beast , Sub7, Zeus ,Zero Access Rootkit इत्यादि ।



स्पाइवेयर यह प्रोग्राम किसी भी कम्प्यूटर सिस्टम पर इन्सटाल्ड होता है, जोकि सिस्टम के मालिक की सभी गतिविधियों की निगरानी तथा गलत तरीके से आगे प्रयोग होने वाली सभी सूचनाओं को एकत्रित करता है। इनका प्रयोग हम कानूनी या गैर कानूनी उद्देश्यों के लिए के सकते है। स्पाइवेयर व्यक्तिगत सूचनाओं को दूसरे व्यक्ति के कम्प्यूटर पर इंटरनेट के माध्यम से संचरित कर सकते है। 
 उदाहरण :-  Cool Web Search , Zango , Keyloggers , Zlob Trojan इत्यादि । 


[1.6.3]  इंटरनेट सुरक्षा के प्रोडक्ट (Products of Internet Security):- 
इन्टरनेट सुरक्षा के प्रोडक्ट निम्न प्रकार है - 

कोमोडो इंटरनेट सुरक्षा
कोमोडो (Comodo) समूह द्वारा विकसित कोमोडो इन्टरनेट सुरक्षा (CIS), माइक्रोसॉफ़्ट विण्डोज़ के लिए एक इंटरनेट सुरक्षा सूट है । यह एक एंटीवायरस प्रोग्राम , एक निजी फ़ायरवॉल, एक सेंडबॉक्स (Sendbox) और एक होस्ट बेस्ड 
इंटरूजन प्रिवेंशन सिस्टम (Host Based Intrusion Prevention System -HIPS) को सम्मिलित करता है, जिसे डिफेंस +(Defense+) कहते है । 
कोमोडो इंटरनेट सुरक्षा की विशेषतायें निम्न प्रकार हैं - 
●  यह लाइनेक्स , पीसी और मैक कम्प्यूटरों के साथ कार्य करता है। यह सुरक्षा उल्लंघनों (Security Breaches) के जवाब में अलर्ट भेजता है। 
●  यह नेटवर्क और प्रणालियों (Systems) को 24/7 स्कैन कर सकते है। 
●  यह वाई फाई सुरक्षा, ऊर्जा प्रबंधन और यूएसबी प्रबन्धन उपकरणों के साथ आता है। 


नॉर्टन एंटीवायरस  सिमेंटेक कॉर्पोरेशन (Symantec Corporation) द्वारा विकसित तथा वितरित नॉर्टन एंटीवायरस एक सदस्यता अवधि के दौरान मालवेयर की रोकथाम को हटाने के लिए प्रदान किया था । इसने वायरस को पहचानने के लिए हस्ताक्षर (Signature) तथा हेरिस्टिक (Heuristic) का प्रयोग किया था । इसमें अन्य सुविधाएँ ई-मेल स्पैम फ़िल्टर तथा फिशिंग सुरक्षा शामिल थे ।

नॉर्टन एंटीवायरस की विशेषताएं निम्न है - 
●  जब आप अपने पीसी (PC) का उपयोग नही करतें है, तब यह अनुसूचियाँ संसाधन ग्रहण करने का कार्य करता है । 
●  यह ऑनलाइन खतरों को आपके कम्प्यूटर में पहुँचने से पहले ही रोक देता है । 

McAfee एंटीवायरस  McAfee  इनकॉर्पोरेटेड एक कम्प्यूटर सुरक्षा से सम्बंधित कम्पनी है, जिसका मुख्यालय सेन्टा क्लारा , केलिफोर्निया में स्थित है। यह घरेलू प्रयोगकर्ताओं , व्यवसायिक प्रतिष्ठानों तथा सरकारी क्षेत्र को सॉफ्टवेयर तथा सेवाओं का विपणन करती है। 19 अगस्त, 2010 को इलेक्ट्रोनिक्स कम्पनी इन्टेल  McAfee को 7.68 बिलियन डॉलर (5 बिलियन पाउण्ड) में खरीदने के लिए सहमत हो गई। 

McAfee एंटीवायरस की विशेषताएँ निम्न है -
●  यह इनबाउंड और आउटबाउंड फ़ायरवॉल का संरक्षण करती है। 
●  यह स्पाइवेयर सुरक्षा प्रदान करता है। 
●  यह McAfee के एक्स-रे रूटकिट का पता लगाते है। 
●  यह प्रतिदिन परिभाषा अपडेट करता है। 
●  McAfee SiteAdvisor स्पैम, मालवेयर और फिशिंग के सबूत के लिए परीक्षण पर आधारित वेबसाइटों के लिए एक सुरक्षा रेटिंग को प्रदर्शित करता है। 

क्विक हील एंटीवायरस  क्विक हील टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड (Quick Heal Technologies Pvt. Ltd.) एक इंडिया बेस्ड ग्लोबल कम्प्यूटर सुरक्षा सॉफ्टवेयर कम्पनी है, जिसका मुख्यालय पुणे में है । यह मुख्य रूप से वर्ष 1993 में एक कम्प्यूटर सेवा केंद्र के रूप में शुरू कर दिया गया है। 
 क्विक हील एंटीवायरस की विशेषताएं निम्न है - 
●  क्विक हील एंटीवायरस डाउनलोड करने तथा स्थापित करने के लिए सरल है । इसका इंस्टालेशन (Installation) सीधा है और इसे पुनः आरम्भ करने की आवश्यक्ता नही होती है। 
●  सॉफ्टवेयर समर्थन टीम आपके प्रश्न या चिन्ताओ का किसी भी समय जल्दी जवाब देती है। 




























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