Religion in india | History of jain religion notes l भारत में धर्म l जैन धर्म का इतिहास jain dharm ka itihaas notes
Religion in india | History of jain religion notes l भारत में धर्म | जैन धर्म का इतिहास
जैन धर्म jain religion
जैन 'जीन' शब्द से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है ज्ञानेन्द्रियों पर विजय प्राप्त करने वाले ।
● जैन धर्म के संस्थापक ऋषभदेव/आदिनाथ थे ।
● जैन धर्म में 24 तीर्थंकर हुए है ।
● प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव है ।
● 22वें तीर्थंकर अरिष्टनेमी/ नेमिनाथ है ।
● 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ है।
● 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी है।
● पार्श्वनाथ ने सत्य ,अहिंसा,अस्तेय, अपरिग्रह चार महाव्रत दिए ।
● जैन धर्म के वास्तविक संस्थापक महावीर स्वामी को कहते है ।
● ऋषभदेव व अरिष्टनेमी का नाम ऋगवेद में मिलता है ।
● जैन धर्म निर्वाण कस अर्थ मोक्ष की प्राप्ति करना है ।
● ज्ञान की प्राप्ति को कैवल्य कहते है ।
● महावीर स्वामी ने 30 वर्ष की आयु में ग्रह त्याग दिया ।
● जम्बिग्राम (बिहार) में ऋजुपालिका नदी के किनारे सॉल वृक्ष के नीचे 12 वर्ष की कठोर तपस्या करने के पश्चात 42 वर्ष की आयु में कैवल्य की प्राप्ति हुई तथा महावीर स्वामी जैन धर्म व निर्ग्रन्थ कहलाये ।
● जैन धर्म में 5 महावत है-
1.सत्य
2.अहिंसा
3. अस्तेय (चोरी ना करन)
4. अपरिग्रह (संचय न करना)
5. ब्रह्मचर्य
● जैन धर्म के त्रिरत्न -
1. सम्यक ज्ञान
2. सम्यक दर्शन
3. सम्यक आचरण
● जैन धर्म की दो संगतियाँ -
1. 298 ई. पूर्व - अध्यक्ष - स्थूल भद्र
स्थान - पाटली पुत्र
2. 6वीं शताब्दी - अध्यक्ष - देवर्षि क्षमाश्रवन
स्थान - वल्लवी (गुजरात)
● जैन धर्म के दो सम्प्रदाय -
1. श्वेताम्बर - प्रवर्तक - स्थूलभद्र
2. दिगम्बर - प्रवर्तक - भद्रबाहु
● कल्पशत्रु के लेखक भद्रबाहु थे ।
● 24 तीर्थंकरों की जीवनी का उल्लेख कल्पसूत्र में है।
● मथुराशैली जैन धर्म से सम्बंधित है ।
● अनेकतावाद व स्यादवाद विचारधारा जैन धर्म से सम्बंधित है ।
● जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा आमरण अनशन करते हुए प्राणों को त्याग देना सुल्लेखना/ संधारा विधि कहलाती है ।
● जैन धर्म आत्मा व पुनर्जन्म में विश्वास करता है लेकिन ईश्वर में विश्वास नही करता है ।
● महावीर स्वामी का जीवन परिचय -
जन्म - 540 ईसा पूर्व
स्थान - कुण्डग्राम वैशाली (बिहार)
पिता - सिद्धार्थ (ज्ञातृक कुल के सरदार)
माता - त्रिशाला(निरक्षवी शासक चैटकी की बहिन)
पत्नि - यशोदा
पुत्री - प्रियदर्शिनी अनुजा
दामाद - जमाणि
बचपन का नाम - वर्धमान
प्रथम शिष्य - जमालि
प्रथम शिष्या - चम्पा (ददिवाहन की पुत्री )
प्रथम उपदेश - राजग्रह (बिहार)
उपदेश की भाषा - प्राकृत
धार्मिक - आगम
निर्वाण - 463 ईसा पूर्व में 72 वर्ष की आयु में पावापुरी (बिहार)
जैन धर्म jain religion
जैन 'जीन' शब्द से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है ज्ञानेन्द्रियों पर विजय प्राप्त करने वाले ।
● जैन धर्म के संस्थापक ऋषभदेव/आदिनाथ थे ।
● जैन धर्म में 24 तीर्थंकर हुए है ।
● प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव है ।
● 22वें तीर्थंकर अरिष्टनेमी/ नेमिनाथ है ।
● 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ है।
● 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी है।
● पार्श्वनाथ ने सत्य ,अहिंसा,अस्तेय, अपरिग्रह चार महाव्रत दिए ।
● जैन धर्म के वास्तविक संस्थापक महावीर स्वामी को कहते है ।
● ऋषभदेव व अरिष्टनेमी का नाम ऋगवेद में मिलता है ।
● जैन धर्म निर्वाण कस अर्थ मोक्ष की प्राप्ति करना है ।
● ज्ञान की प्राप्ति को कैवल्य कहते है ।
● महावीर स्वामी ने 30 वर्ष की आयु में ग्रह त्याग दिया ।
● जम्बिग्राम (बिहार) में ऋजुपालिका नदी के किनारे सॉल वृक्ष के नीचे 12 वर्ष की कठोर तपस्या करने के पश्चात 42 वर्ष की आयु में कैवल्य की प्राप्ति हुई तथा महावीर स्वामी जैन धर्म व निर्ग्रन्थ कहलाये ।
● जैन धर्म में 5 महावत है-
1.सत्य
2.अहिंसा
3. अस्तेय (चोरी ना करन)
4. अपरिग्रह (संचय न करना)
5. ब्रह्मचर्य
● जैन धर्म के त्रिरत्न -
1. सम्यक ज्ञान
2. सम्यक दर्शन
3. सम्यक आचरण
● जैन धर्म की दो संगतियाँ -
1. 298 ई. पूर्व - अध्यक्ष - स्थूल भद्र
स्थान - पाटली पुत्र
2. 6वीं शताब्दी - अध्यक्ष - देवर्षि क्षमाश्रवन
स्थान - वल्लवी (गुजरात)
● जैन धर्म के दो सम्प्रदाय -
1. श्वेताम्बर - प्रवर्तक - स्थूलभद्र
2. दिगम्बर - प्रवर्तक - भद्रबाहु
● कल्पशत्रु के लेखक भद्रबाहु थे ।
● 24 तीर्थंकरों की जीवनी का उल्लेख कल्पसूत्र में है।
● मथुराशैली जैन धर्म से सम्बंधित है ।
● अनेकतावाद व स्यादवाद विचारधारा जैन धर्म से सम्बंधित है ।
● जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा आमरण अनशन करते हुए प्राणों को त्याग देना सुल्लेखना/ संधारा विधि कहलाती है ।
● जैन धर्म आत्मा व पुनर्जन्म में विश्वास करता है लेकिन ईश्वर में विश्वास नही करता है ।
● महावीर स्वामी का जीवन परिचय -
जन्म - 540 ईसा पूर्व
स्थान - कुण्डग्राम वैशाली (बिहार)
पिता - सिद्धार्थ (ज्ञातृक कुल के सरदार)
माता - त्रिशाला(निरक्षवी शासक चैटकी की बहिन)
पत्नि - यशोदा
पुत्री - प्रियदर्शिनी अनुजा
दामाद - जमाणि
बचपन का नाम - वर्धमान
प्रथम शिष्य - जमालि
प्रथम शिष्या - चम्पा (ददिवाहन की पुत्री )
प्रथम उपदेश - राजग्रह (बिहार)
उपदेश की भाषा - प्राकृत
धार्मिक - आगम
निर्वाण - 463 ईसा पूर्व में 72 वर्ष की आयु में पावापुरी (बिहार)
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