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वायुमंडल की परतें | वायूमण्डल की परतों का विवरण layers of atmosphere notes | description of layers

वायुमंडल की परतें | वायूमण्डल की परतों का विवरण  layers of atmosphere notes

वायुमण्डल की प्रमुख परतें - पृथ्वी के चारों ओर वायु का आवरण वायुमण्डल कहलाता है।
वायु की गति एमीमोमीटर में मापी जाती है ।
वायुदाब मापने के यंत्र बैरोमीटर है ।
वायुदाब मापने की इकाई मिलीबार \ पास्कल है ।
वायुमण्डल की मुख्यतः पाँच परतें है -


[1] क्षोभमंडल (Tropisphere)-
                         परिवर्तनकारी मण्डल / विक्षोभ मण्डल / संहवनीय मण्डल / ट्रोपोस्फीयर
◆  वायुमण्डल की सबसे नीचली परत है ।
◆  इस परत में मौसम सम्बन्धी घटनाएं जैसे आँधी, तूफान , वर्षा , बादल का बनना आदि।
◆  इस परत में ऊंचाई के साथ तापमान घटता है ।
◆  165 मीटर की ऊँचाई पर जाने से -1℃  तापमान कम हो जाता है ।
◆  32 मीटर की गहराई में  जाने पर 1℃ तापमान बढ़ जाता है ।
◆  इस परत की ऊँचाई 8 से 18km होती है ।
◆  क्षोभ सीमान्त को मौसम सम्बन्धी घटनाओँ की छत कहते है ।
◆  इस मंडल में जेटस्ट्रीम धारायें चलती है ।




[2]  समताप मण्डल / स्ट्रेटोस्पीयर :-
                                                   इस परत में ऊँचाई के साथ तापमान में कमी या वृद्धि नही होती है ।
◆  इस परत में वातुमण्डल व जेटविमान उड़ाने के लिए उपयुक्त परत है ।
◆  इस परत में ओजोन गैस की परत पायी जाती है ।
◆  ओजोन परत को पृथ्वी का सुरक्षा कवच कहते है ।
◆  सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को रोककर पृथ्वी की रक्षा करती है।
◆  ओजोन गैस का निर्माण भू-मध्य रेखा पर होता है ।
◆  ओजोन गैस का जमाव ध्रुवों पर पाया जाता है ।
◆  ओजोन परत की मोटाई डॉबसन इकाई में मापी जाती है ।
◆   ओजोन परत को CFC , HCFC ,सल्फर , क्लोरीन हानिकारक गैसें हानि पहुँचा रही है ।
◆  ओजोन परत के ह्रास को ओजोन परत में छिद्र कहते है ।
◆   ओजोन परत के नुकसान के कारण पृथ्वी पर ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है ।
◆  क्षमताप मंडल की ऊँचाई 18 - 50km है ।
◆  ओजोन परत संरक्षण दिवस 16 सितंबर को मनाया जाता है ।



[3]  मध्यमण्डल / मेट्रोस्पीयर :-
                                            इसकी ऊँचाई 50 - 80 km होती है ।
◆  यह परत समताप मण्डल के ऊपर पायी जाती है ।
◆  इस परत में ऊँचाई के साथ साथ तापमान घटता है ।
◆  इस परत में -100℃ तापमान पाया जाता है ।
◆  अंतरिक्ष से आने वाले उल्का पिंड इस परत में जलकर नष्ट हो जाते है।



[4] आयन मण्डल / आयनोस्पीयर :-
                                                  इसकी ऊँचाई 80 - 640km तक होती है ।
◆   इस परत में आवेशित गैस पायी जाती है ।
◆   सूर्य से आने वाली एल्फा, बीटा, गामा किरणों के कारण इस परत की गैस आवेशित हो जाती है जिसके कारण पृथ्वी पर दूर संचार के यंत्र संचारित होते है ।



[5] बहिर्रमण्डल :-
                            इसकी ऊँचाई 640km से ऊपर तक है ।
◆   इस परत में ऊँचाई के साथ साथ तापमान बढ़ता है क्योंकि इस परत में H व He गैस के भण्डार पाए जाते है ।
◆   वायुदाब का अध्ययन करने वाला प्रथम वैज्ञानिक ऑटोपान गैरी था ।

                         
















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